कभी भाला खरीदने के भी नहीं थे पैसे, आज देश में कदम रखने से पहले ही करोड़पति बने नीरज चोपड़ा
नई दिल्ली। टोक्यो ओलिंपिक के जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने जैसे ही 87.58 मीटर दूर भाला फेंका उसी के साथ ही वे करोड़पति बन गए। एक-एक कर इनाम की राशि बढ़ती गई। रविवार तक यह दस करोड़ रुपये पहुंच गई। इसके अलावा नौकरी व लग्जरी गाड़ी भी मिलेगी। नीरज चोपड़ा की यह उपलब्धि सदैव याद की जाएगी। एथलीट में स्वर्ण पदक लाने वाले वे इस वर्ष के पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। इसके पहले 2008 में अभिनव बिंद्रा ने यह कर दिखाया था।
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क्या आपको पता है कि आज दस करोड़ से अधिक की ईनाम राशि मिलने से पहले नीरज चोपड़ा के पास भाला खरीदने के भी पैसे नहीं थे। संयुक्त परिवार में नीरज चोपड़ा के घर 19 सदस्य हैं। उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा भी साथ रहते हैं। दस भाई-बहनों में सबसे बड़़े नीरज परिवार के लाडले हैं। प्रैक्टिस के लिए उन्हें डेढ़ लाख रुपये के जैवलिन की जरूरत थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण परिवार वाले इतने महंगे जैवलिन नहीं दिला सके। तब नीरज के पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम चोपड़ा ने किसी तरह सात हजार रुपये जुटाए। पैक्टिस के लिए एक जैवलिन लाकर दिया। इससे प्रैक्टिस करते हुए नीरज ने एक-एक कर सफलता के झंडे गाड़ते चले गए।
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नीरज पर टिकी थी सभी की निगाहें
गोल्डन ब्वॉय के नाम से मशहूर हो चुके नीरज का नाम अब हर खिलाड़ियों व खेलप्रेमियों की जुबा पर हैै। टोक्यो ओलिंपिक में नीरज पर सबकी निगाहें टिकी थी क्योंकि भारत का आखिरी इवेंट जैवलिन थ्रो ही था। नीरज के पहले भारत के खाते में छह मेडल आ चुके थे। इसमें चार ब्रांज और दो सिल्वर मेडल थे। इसके बाद नीरज ने गोल्ड लाकर हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
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कोच नहीं रख सकते थे तो यूट्यूब से सीखा
आर्थिक स्थिति की मार झेल रहे नीरज चोपड़ा के पास कोच रखने के भी पैसे नहीं थे। नीरज ने इसके बाद भी हार नहीं मानी। रोजाना यूट्यूब पर वीडियो देखकर मैदान में प्रैक्टिस के लिए पहुंचते थे। वीडियो ने खेल की कई कमियों को दूर किया। उनको मोटिवेशन भी मिला। इस खेल के प्रति उनका जज्बा इतना था कि कभी पैसों की कमी आड़े नहीं आने दी।
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