पृथ्वी
चिड़िया उदास होती है
तो पृथ्वी के माथे पर पड़ती हैं लकीरे
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एक पेड़ मरता है
तो सबसे ज्यादा चिंतित होती है
पृथ्वी
जब स्त्री रोती है
उस रात
पृथ्वी को नींद नहीं आती
हँसी
बहुत कुछ कहती है
भरोसे जगाती हँसी
एक बेपरवाह हँसी गढ़ती है
सुंदरता का श्रेष्ठतम प्रतिमान
अर्थ खो देंगे
रँग, फूल, तितली और चिड़िया
एक हँसी न हो तो
हँसी से ही
संबंधों में रहती है गर्मी
नींद कैसे आयेगी हँसी के बिना
प्रेम का क्या होगा?
हँसी को तकिया बनाकर
सोता है प्रेम
अंतिम शरणगाह
दुख की एक नदी थी
जिसमें हम दोनों को उतरना था
हम प्रेम करने लगे
सुख का एक आकाश था
जिसमें हम दोनों को उड़ना था
हम प्रेम करने लगे
अपने खारे आँसुओं से
हमने मीठे पानी की एक झील बनायी
और उम्र भर नहाते रहे
कोमल भरोसे से खड़ा किया
प्रेम का ऊँचा पहाड़
और शिखरों पर चढ़ इठलाते रहे
हमने उम्मीदों का
एक हरा-भरा जँगल लगाया
और भटकते रहे
बेपरवाह
बावजूद इसके
प्रेम को नहीं मिल पायी साबूत ठौर
कि हम आँख मूँद सुस्ता सकें
देह मिट जाने तक
हम सिर्फ़ सपनों में मिलते रहे
वहीं पूरी कीं सारी इच्छाएँ
हम प्रेम करते थे
सपने ही बने
हमारी अंतिम शरणगाह
कवि - कुंदन सिद्धार्थ (समकालीन हिन्दी कवि)
सम्प्रति: आजीविका हेतु पश्चिम मध्य रेल, जबलपुर में कार्यरत
साहित्यिक कृतित्व: 'अक्षरा', 'आवर्त', 'वागर्थ', 'पहल', 'दोआबा', 'बहुमत', 'आजकल', 'मुक्तांचल', 'नया पथ', 'समावर्तन', 'बिंब-प्रतिबिंब', 'समकालीन परिभाषा', 'समकालीन भारतीय साहित्य' पत्रिकाओं में तथा 'समकालीन जनमत' के वेबसाइट, 'अविसद' और अन्य ब्लॉगों पर एवं कुछ ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित; 'हंस', 'धर्मयुग', 'संडे ऑब्जर्वर' में वैचारिक आलेख प्रकाशित; मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के मंचों पर काव्य-पाठ; कुछ कविताओं का मराठी, नेपाली और अंग्रेजी में अनुवाद; कवि और समालोचक गणेश गनी के संपादन में संयुक्त कविता संकलन 'यह समय है लौटाने का' प्रकाशित; सुमन सिंह के संपादन में प्रेम कविताओं का साझा संग्रह 'सदानीरा है प्यार' प्रकाशित; कवि और अनुवादक जगदीश नलिन के संपादन में सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित हिंदी कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद की पुस्तक 'ऑन नो टाइम' में कविता सम्मिलित; कवि-संपादक दफ़ैरून श्रीवास्तव के संपादन में संयुक्त काव्य संग्रह प्रेस में; राजेंद्र शर्मा के संपादन में संयुक्त काव्य संग्रह 'कोरोना के कवि (खंड एक)' में कविताएँ सम्मिलित; पहला काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य
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